बदलाव अंतःप्रेरणा से हो या दबाव से ?
मध्यप्रदेश का एक वो छोटा सा गांव जहां पर एक आठ साल का बच्चा स्वच्छ भारत अभियान से जुड़कर अपने गांव को स्वच्छ बनाने का संकल्प करता है और वह उसमे सफल भी होता है | यहाँ समझने वाली बात ये है कि उस आठ साल के लड़के ने गांव वालों पर जबरदस्ती तो की नहीं होगी , बल्कि उसने उनलोगों के अंदर स्वछता की भावना को प्रोत्साहित किया होगा | एक आठ साल का बच्चा प्रेरणा दे सकता तो हम क्यों नहीं ? यह अत्यंत विचारणीय प्रश्न है | अब प्रश्न यह उठता है कि क्या हम अपने विचारों का दबाव डालें या सिर्फ सलाह दें ? प्रत्येक इन्सान की एक निजता होती है जिसमे वह विचार करने , सामाजिक व्यवहार व जीवन जीने की पद्धति के लिए स्वतंत्र होता है | उस पर किसी प्रकार का वैचारिक दवाब नहीं डाला जा सकता है | वैसे भी प्रत्येक इंसान में स्वंतत्र आत्मा का निवास होता है फिर एक ईश्वरीय आत्मा को सिखानेवाले हम कौन होते है ? क्या हमारे पास इतना सामर्थ्य है की हम एक आत्मा को सीखा सकते हैं ? परन्तु जब बात राष्ट्र के हित की हो तो वहां पर सलाह के अलावा बंदिशों का पालन भ...