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Showing posts from April, 2018

विखुरते आभाळ

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             'प्रेम म्हणजे पाप' हाच एक inbuilt व्हायरस  घातला जातोय प्रत्येकाच्या डोक्यात समाजाकडुन... ....प्रेम होणं हा एक माणवाचा स्वभावधर्म आहे.....its a natural thing.मग ते वाईट  कसं असु शकेल?  ..फक्त ते व्यावहारीक नाही म्हणुन....? कुणीतरी म्हटलेलाच आहे कि "ज्याला निसर्गाचं वरदान आहे ते पाप कसे होईल."               प्रेम ही वयक्तीकच बाब असते प्रथमतः पण जेव्हा सकारात्मक प्रतिसाद मिळतो तेव्हाच ही बाब सामाजिक होते. नाहीतर ती जन्मभर वयक्तीकच असणार असते.               प्रेमाच्या योग्य-अयोग्यतेच्या भानगडीत पडुच नये कोणी.  फक्त त्या प्रवाहाला योग्य ती वाट करून द्यायला हवी....प्रेम ही एक कन्स्ट्रक्टीव उर्जा  असते .....त्याला  आपण आपली ताकद बनवली पाहीजे.               प्रेम करणार् याने त्या बदल्यात होकाराची सक्ती करु नये,आणि नकार देणार्याने सुद्धा त्त्याबदल्यात नाक मुरडण्यपेक्षा त्याकडे त्रयस्थ नजरेने बघायला पाहिजे आंणि ...

एक और दामिनी !

भारत के धरती की जन्नत कही जाने वाली कश्मीर जो एक तरफ हिमालय से रक्षित है तो दूसरी तरफ पिर पंजाल की घाटी जो ना जाने कितनी पीड़ादायी घटनाओं की साक्षी रही है , आज फिर मानवीयता को शर्मसार और मानवीय हृदय पर कुठाराघात करने वाली अत्यन्त निंदनीय एवं पीड़ादायी घटना का साक्षीदार हुई। एक मासूम बच्ची जिसने ठीक से अपने जीवन का दशांस भी पूरा नही कर पायी थी, एक छुद्र वासना और वैचारिक कुपोषण का शिकार हो गई। वो माँ जिसने उसे जन्म दिया, वो पिता जिसने उस लड़की की पालन-रक्षण के लिये अपने सपनों को कुर्बान किया या खुद वो बच्ची जिस पर ये सब अत्याचार हुआ ! उसकी क्या गलती थी ? आज पूरा भारत रो रहा है ! वही भारत जो 2012 मे एक बार रोया था लेकिन मोमबत्ती की आग क्या उस माँ की विरह वेदना को जला पायेगी ? वो पिता अब अपना प्यार भरा स्नेह किसपर लुटाएंगे ? खैर! यह तो भावनात्मक बातें है हम जैसे 2012 को भूल गये वैसे कुछ दिन बाद इसे भी भूल जाएंगे! लेकिन उस विचार का क्या होगा जिसकी वजह से ना जाने कितनी दामिनी हर रोज बनायी जाती है। इस घटना के बाद अब तो हम पुलिस के पास भी जाने में हजार बार सोचेंगे। मंदिर जो ईश्वर का निवास ...