तुम्हारा है.... | Tumhara hai

हर सफर लगता है सुहावन बस तुमसे,
हर तीर्थ भी लगता है पावन बस तुमसे,
कभी बारिश की बूंदें भी जलाती थी हमको,
अब धूप भी लगता है सावन बस तुमसे ।

तुम्हारी नज़रों में छुपा हर राज़ अच्छा लगता है,
कलाइयों के घुमाने का अंदाज़ अच्छा लगता है,
मैं भी खामोश रहता हूं और तुम भी कुछ नहीं कहती,
पर खामोशी में बोला हुआ हर बात अच्छा लगता है।

मेरी ज़िन्दगी का हर लम्हा तेरी यादों में गुज़र जाता है,
आंख बंद होकर भी तुम्हारा चेहरा नज़र आता है,
हर रोज नींद में अपने ख़्वाबों की दुनियां बसाता हूं।
सुबह होते ही आंखों से आशियाना छूट जाता है।

मेरा सुबह भी तुम हो, मेरा सौगात भी तुम हो,
जो लबों से बयां न हो पाए वो जज़्बात भी तुम हो,
कल तक तो मैं भी अपनी शर्तों पर जीता था जिंदगी,
आज जैसे जिंदगी की हर बात ही तुम हो।

मेरे हर एक गलतियों में तेरा एहसास जिन्दा है,
मेरे हर दिल की धड़कन में तुम्हारा सांस जिन्दा है,
मैं जब भी चोट खाता हूं तुम्हारी याद आती है,
कभी तुम साथ आओगी यहीं एक आश जिन्दा है।


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