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Showing posts from November, 2019

चूड़ियां | Chudiyan

खन-खनाने लगी आपकी चूड़ियां, दिल चुराने लगी आपकी चूड़ियां, आज शायद मिलन की घड़ी आ गई, मुस्कुराने लगी आपकी चूड़ियां। जब से ली है जवानी ने अंगड़ाइयां, ज़ुल्म ढाने लगी आपकी चूड़ियां, सांवले हाथ में चांद के रूबरू, जगमगाने लगी आपकी चूड़ियां। थामते ही कलाई को क्यूं शर्म से, कसमसाने लगी आपकी चूड़ियां, आज की रात महफ़िल में कौन आ गया, गुन-गुनाने लगी आपकी चूड़ियां। राग जब जब भी छेड़े हैं हमने कभी, गीत गाने लगी आपकी चूड़ियां।

आदत वहीं है | Aadat Wahi hai

उन्हें सर उठाने की आदत वहीं है, हमें सर झुकाने की आदत वहीं है, सितम गर सितम कर चला दिल पर खंजर, हमें जख्म खाने की आदत वहीं है। नहीं डर की दिल पर रहेगा ना काबू, इसे टूट जाने की आदत वहीं है, गीले शिकवे होठों पर आए भी तो  कैसे, हमें चुप लगाने की आदत वहीं है। हमें आ गया अब संभल कर भी चलना, मगर लड़खड़ाने की आदत वहीं है, गमों का ये बोझ अब बढ़े भी तो क्या गम, हमें मुस्कुराने की आदत वहीं है। अभी तक भले हो, बुरे लोग सबनम, हमारा जमाने की आदत वहीं है, मैंने हर ख़्वाब मोड़ा तेरे ख्वाब तक, पर तेरे आजमाने आदत वहीं है।

तुम्हारा है.... | Tumhara hai

हर सफर लगता है सुहावन बस तुमसे, हर तीर्थ भी लगता है पावन बस तुमसे, कभी बारिश की बूंदें भी जलाती थी हमको, अब धूप भी लगता है सावन बस तुमसे । तुम्हारी नज़रों में छुपा हर राज़ अच्छा लगता है, कलाइयों के घुमाने का अंदाज़ अच्छा लगता है, मैं भी खामोश रहता हूं और तुम भी कुछ नहीं कहती, पर खामोशी में बोला हुआ हर बात अच्छा लगता है। मेरी ज़िन्दगी का हर लम्हा तेरी यादों में गुज़र जाता है, आंख बंद होकर भी तुम्हारा चेहरा नज़र आता है, हर रोज नींद में अपने ख़्वाबों की दुनियां बसाता हूं। सुबह होते ही आंखों से आशियाना छूट जाता है। मेरा सुबह भी तुम हो, मेरा सौगात भी तुम हो, जो लबों से बयां न हो पाए वो जज़्बात भी तुम हो, कल तक तो मैं भी अपनी शर्तों पर जीता था जिंदगी, आज जैसे जिंदगी की हर बात ही तुम हो। मेरे हर एक गलतियों में तेरा एहसास जिन्दा है, मेरे हर दिल की धड़कन में तुम्हारा सांस जिन्दा है, मैं जब भी चोट खाता हूं तुम्हारी याद आती है, कभी तुम साथ आओगी यहीं एक आश जिन्दा है।

छोड़ जाऊंगा | Chhod Jaunga

सताएगी अक्सर तन्हाई में तुमको, होठों पर ऐसा मुस्कान छोड़ जाऊंगा, करोगी गर्व तुम दर्पण में खुद पर, प्यार का ऐसा स्वाभिमान छोड़ जाऊंगा, माना कि मिटा दोगे आप मुझे जिंदगी के कुछ पन्नों से, पर याद रखना! पेंसिल हूं मैं, मिटकर भी प्यारा सा निशान छोड़ जाऊंगा। सब कहते है मन ही मन उसे मैं मार देता हूं, मैं सपनों की तरह उसकी यादें बिसार देता हूं, मुझे ये हक है कि उसे थोड़ा दुःख भी दूं, क्यूंकि चाहत भी तो उसी को बेशुमार देता हूं।

हमने देखा है | Humne Dekha Hai

किसी के खून को आंसू बदलते हमने देखा है, किसी के याद के मंज़र बदलते हमने देखा है, कभी जो हाथों में हाथ लेकर साथ चलते थे, उनके हर साथ को छूटते बिछड़ते हमने देखा है। हरेक दिल के धड़कने को कभी तुम प्यार मत समझो, हरेक नजरें झुकाने को कभी इकरार मत समझो, अभी फरहाद के बिछड़े फसाने हर गली में है, आदाओं की नुमाइश को कभी श्रृंगार मत समझो। यहां फूलों का खिलना भी महज एक राज़ होता है, यहां नज़रों का मिलना भी महज एक राज़ होता है, बड़ी एक भूल है यह समझना कि किसी को प्यार तुमसे है, यहां खुला समर्पण भी महज एक राज़ होता है। इस दुनिया की ठोकर से हताश कभी तुम मत होना, भरा हो जीवन खुशियों से उदास कभी तुम मत होना, कुछ चोट तुम्हे भी आएंगी तुम्हे तोड़ने के खातिर, रखना संबल खुद के उपर विश्वास कभी तुम मत होना। वक़्त का काम आना है, वक़्त का काम जाना है, वहीं हंसना, वहीं रोना, वहीं किस्सा पुराना है, कभी उमंग है जीवन कभी उदास है मंज़र हजारों ठोकरें हो पथ पर फिर भी मुस्कुराना है।

गज़ब हो गया | Gajab ho gaya

फासले दर्मियां अपने बढ़ते गए, तुमको अपना बनाना गज़ब हो गया। दिल से दिल को सुकून खूब मिला था मगर, अब तो आंसू बहाना गज़ब हो गया। खुशियां शर्माती थी हमें देख कर, अब तो गम भी उठाना गज़ब हो गया। बन के धड़कन धड़कते थे दिल में मेरे, तुमको अपना बनाना गज़ब हो गया। एक दूजे के थे तब अलग बात थी, गैर भी अब बताना गज़ब हो गया। प्यार आंखों में था दिल में जज़्बात थी, अब दुश्मनी भी निभाना गज़ब हो गया। अपने थे तो मिल के मुस्कुराते थे हम, अब तो चेहरा दिखाना गज़ब हो गया। गैर की याद में जब से पहुंची हो तुम, प्यार भी अब जताना गज़ब हो गया।

ऐसा थोड़ी न होता है... | Aisa thodi na hota hai

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कुछ ख्वाहिश है जो बस तुमसे है, कुछ यादें है जो बस तुमसे है, कुछ बातें है जो बस तुमसे है, सच कहूं तो ये दिल कभी बच्चा जैसा रोता है, और वो कहती है ऐसा थोड़ी ना होता है। पुछना है तो इस दिल से पूछो जिसके टुकड़े हजार हुए, कभी वीरान सी जिंदगी तो कभी शब्दों के संसार हुए, मेरे एहसासों का हर कतरा बस उसपर ही निशार होता है, और वो कहती है ऐसा थोड़ी ना होता है।

बचपन | Bachpan

वो बचपन की स्वर्णिम सौभाग्य, रिश्तों का खज़ाना था। वो परियो की कहानी थी लड़कपन वो सुहाना था । उमंगे हर एक नजरों में, सच करने का ज़माना था। हजारों बंदिशें थी फिर भी, मन का उन्मुक्त गाना था। हजारों नाव बारिश में, जहाज़ों का उड़ाना था। भले वो महलें मिट्टी की, सच्चाई का ज़माना था। ना उर में उर्वर्शी की याद, ना दिल का धड़कना था। कभी यूं राह चलते चलते, बस दिल तितलियों का दिवाना था।